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शिवरात्रि में पूजन कैसे करे !

EUResTandLeT
February 18, 2023
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शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करना एक परंपरागत रीति है। यह दिन भगवान शिव की विशेष पूजा का दिन है जब उनके भक्त उनके नाम, गुण और महत्व को याद करते हुए उन्हें पूजते हैं। निम्नलिखित हैं शिवरात्रि पूजा के कुछ सामान्य चरण:

  1. शुद्धि की पूजा: शिवरात्रि की पूजा से पहले अपने आसन, मंडप और पूजा सामग्री को शुद्ध करें। आप जल और गंगाजल का उपयोग कर सकते हैं।
  2. लिंग पूजा: शिव की प्रतिमा के स्थान पर लिंग की प्रतिमा स्थापित करें और उसे सुगंधित धूप और दीपकों से सजाएं।
  3. शिवलिंग पर जल चढ़ाना: शिवलिंग पर जल चढ़ाना भी एक आवश्यक चरण है। यह जल गंगाजल हो सकता है।
  4. भजन और कीर्तन: शिवरात्रि की रात में भक्त भगवान शिव के लिए भजन और कीर्तन करते हैं।
  5. पुष्प और बिल्व पत्र चढ़ाना: शिवलिंग पर पुष्प और बिल्व पत्र चढ़ाना शिव पूजा के एक और महत्वपूर्ण चरण है।
  6. प्रार्थना करना

#1.

शिवरात्रि की पूजा से पहले शुद्धता की पूजा अत्यंत आवश्यक होती है। इसके लिए आप निम्नलिखित चरणों को अपना सकते हैं:

  1. सभी पूजा सामग्री को एकत्र करें: शुरुआत में सभी पूजा सामग्री जैसे कि लिंग, दीपक, अगरबत्ती, पुष्प, बिल्व पत्र आदि को एक स्थान पर इकट्ठा करें।
  2. अपने शरीर को धोएं: शुद्धता के लिए आप अपने शरीर को धो सकते हैं। यदि आप जल के साथ गंगाजल का उपयोग करना चाहते हैं, तो इसके लिए एक अलग कलश का उपयोग करें।
  3. वस्त्र शुद्धि: अपने वस्त्रों को शुद्ध करने के लिए धुले हुए जल या गंगाजल का उपयोग करें।
  4. मंडप शुद्धि: पूजा मंडप को भी शुद्ध करना आवश्यक होता है। इसके लिए, मंडप को साफ करें और उसे एक साफ कपड़े से ढंकें।
  5. पूजा सामग्री को शुद्ध करें: पूजा सामग्री जैसे कि लिंग, दीपक, अगरबत्ती, पुष्प आदि को एकत्र करें और उन्हें शुद्ध करें।

#2.

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शिव पूजा के दूसरे चरण के बारे में अधिक जानकारी निम्नलिखित है:

लिंग पूजा एक परंपरागत तरीका है, जो शिव के रूप में जाना जाता है। इस पूजा में, शिव की प्रतिमा के स्थान पर लिंग की प्रतिमा स्थापित की जाती है। यह उस समय उपयोग में लाए जाने वाले प्रतिमाओं के लिए एक स्थान भी हो सकता है। लिंग पूजा के दौरान, आप निम्नलिखित कदम अपना सकते हैं:

  1. लिंग की प्रतिमा को स्वच्छ और सुगंधित करें। आप उसे जल या दूध से धो सकते हैं।
  2. लिंग की प्रतिमा के आसपास दीपक और अर्घ्य कप रखें। आप उनमें दूध, तांबे का पानी या गंगाजल डाल सकते हैं।
  3. लिंग की प्रतिमा के आसपास फूल और बेल पत्र रखें।
  4. धूप और अर्घ्य के साथ लिंग की प्रतिमा की पूजा करें। आप अपने मन को शांत रखने के लिए मंत्र जप कर सकते हैं।

शिव पूजा में लिंग की प्रतिमा को सम्मानित करना एक महत्वपूर्ण चरण है।

#3.

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शिवलिंग पर जल चढ़ाना शिव पूजा का एक महत्वपूर्ण चरण है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शिव को स्नान करने का अनुभव होता है और इससे उनकी कृपा बनी रहती है। शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए जल गंगाजल हो सकता है, क्योंकि यह शुद्ध और पवित्र माना जाता है। आप अपने यत्नों के अनुसार दूसरे पानी का भी उपयोग कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि यह जल शुद्ध और पवित्र होना चाहिए।

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जल की मात्रा अधिक न हो, क्योंकि इससे शिवलिंग के ऊपर जल की बौछार हो सकती है जो अनुचित हो सकता है। आप एक छोटे छिद्र के माध्यम से जल को शिवलिंग पर धारित कर सकते हैं। इसके अलावा, शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय मंत्र जप कर सकते हैं जैसे “ॐ नमः शिवाय” और अपनी श्रद्धा और भक्ति का भाव रखें।

#4.

शिवरात्रि की रात में भक्त भगवान शिव के लिए भजन और कीर्तन करते हैं। इससे उनका मन शुद्ध होता है और वे भगवान शिव की भक्ति में लीन हो जाते हैं। यह एक धार्मिक गतिविधि होती है जो भगवान शिव के लिए पूरी भक्ति और समर्पण का एक उत्कृष्ट तरीका होता है।

भजन और कीर्तन गाने के लिए शिव भजनों का विशेष महत्व होता है जैसे कि “शंकरा मे जोति शिव है”, “जय शिव ओंकारा”, “कैलाश के निवासी नमो नमः”, “शिव शंकर का गूँज उठा है”, “ओम नमः शिवाय” आदि। इन भजनों को गाकर भक्त भगवान शिव के नाम, गुण और महिमा का गुणगान करते हुए उनकी आराधना करते हैं।

इससे पहले भजन और कीर्तन करने से पहले, भक्तों को शुद्ध रखने वाले मंत्र जैसे “ॐ नमः शिवाय” का उच्चारण करना चाहिए। इससे उनकी मनोदशा शांत होती है और वे भगवान शिव की भक्ति में लीन होते हैं।

#5.

शिवरात्रि पूजा में पुष्प और बिल्व पत्र का उपयोग भगवान शिव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसे भगवान शिव की पूजा में चढ़ाया जाता है और इससे पूजन का महत्व बढ़ जाता है।

पुष्पों का उपयोग पूजा के दौरान शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। पुष्पों का उपयोग आप अपनी पसंद के अनुसार कर सकते हैं, लेकिन अधिकतर लोग जास्तीमाल, गुलाब या कनेर के फूलों का उपयोग करते हैं। पुष्पों का चढ़ाना शिवलिंग पर शुभ फल लाता है और भगवान शिव आपकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

बिल्व पत्र भी शिव पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। बिल्व पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। बिल्व पत्र को त्रिदल के रूप में माना जाता है और यह भगवान शिव के प्रतीक होता है। बिल्व पत्र को चढ़ाने से भगवान शिव आपकी पूजा और उपासना को प्रत्यक्ष करते हैं और आपकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

#6.

शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ भक्त उनसे अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं। यह भगवान शिव के दरबार में उनके सामने अपने दिल की बातें कहने का एक महान अवसर होता है। निम्नलिखित हैं कुछ प्रार्थनाएं जो शिवरात्रि के दिन की जा सकती हैं:

  1. भगवान शिव से अपने अज्ञात कर्मों को दूर करने की प्रार्थना करें।
  2. भगवान शिव से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें।
  3. भगवान शिव से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।
  4. भगवान शिव के चरणों में अपनी भक्ति और श्रद्धा का प्रकट करें।
  5. भगवान शिव से समस्त मानव जाति के लिए सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।
  6. भगवान शिव से अपने जीवन में सभी कष्टों से मुक्ति और उत्तरायण की दिशा में प्रगति की प्रार्थना करें।

ध्यान रखें कि भगवान शिव बहुत दयालु होते हैं और वे अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनते हैं।

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