मरने के बाद हमारे साथ क्या होता है ?
इस सवाल का जवाब विभिन्न धर्म और दार्शनिक परंपराओं के अनुसार भिन्न हो सकता है। यह एक विषय है जो विभिन्न धर्मों, दार्शनिक परंपराओं और विश्वासों के अनुसार भिन्न तरीकों से समझाया जाता है।
कुछ लोग मानते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा अपने शरीर से अलग हो जाती है और फिर उसका कोई अस्तित्व नहीं रहता है। दूसरी ओर, कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि आत्मा नए शरीर में जन्म लेती है और फिर संसारी जीवन के चक्र को फिर से चलाती हुई फिरती है।
वैदिक धर्म के अनुसार, जब एक व्यक्ति मरता है, तो उसकी आत्मा शरीर से अलग होती है और उसे आत्मा की मोक्ष प्राप्ति के लिए ब्रह्मलोक में जाना पड़ता है।
इसी तरह, ईसाई धर्म के अनुसार, मृत्यु के बाद जीवात्मा फिर से अपने शरीर में वापस नहीं जाती है, बल्कि आत्मा या रूह अधोलोक में जाती है और या तो स्वर्ग या नरक में जाती है।
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आपकी जानकारी के लिए यह बताया जाता है कि ये दो विभिन्न विचार हैं, जो विभिन्न धर्मों, दार्शनिक परंपराओं और विश्वासों के अनुसार भिन्न तरीकों से समझाया जाता हैं।
जिन लोगों का मानना होता है कि मृत्यु के बाद आत्मा अपने शरीर से अलग हो जाती है और उसका कोई अस्तित्व नहीं रहता है, उन्हें उत्तरदायी तत्त्वों जैसे कि मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार देना, अंतिम संस्कार के बाद शव को धरती में दफन कर देना आदि के साथ जुड़े रीति-रिवाज अपनाने होते हैं।
दूसरी ओर, जिन लोगों का मानना होता है कि आत्मा नए शरीर में जन्म लेती है और फिर संसारी जीवन के चक्र को फिर से चलाती हुई फिरती हैं, उन्हें रींकर्नेशन या रबीर्थ जैसे शब्दों से जाना जाता है। इस विचार के अनुसार, जीवात्मा संसार में जन्म लेती है और फिर मृत्यु के बाद एक नए शरीर में जन्म लेती है। इस प्रकार आत्मा का संसार में जन्म-मरण का चक्र चलता रहता है।
#2. वैदिक धर्म के अनुसार, मृत्यु के बाद जीवात्मा शरीर से अलग हो जाती है और उसे आत्मा की मोक्ष प्राप्ति के लिए ब्रह्मलोक में जाना पड़ता है। ब्रह्मलोक आत्मा का अंतिम गतिस्थान है जहाँ आत्मा परमात्मा से एकीभाव में विलीन होती है। इस धर्म के अनुसार, मनुष्य अनंत जन्मों के बाद आत्मा को ब्रह्मलोक को प्राप्त होता है और इस तरह से संसार के चक्र से मुक्त हो जाता है।
#3.
ईसाई धर्म में मृत्यु के बाद जीवात्मा के अनुसार, आत्मा अपने शरीर में वापस नहीं जाती है। ईसाई धर्म में माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति मरता है, तो उसकी आत्मा या रूह शरीर से अलग हो जाती है और अधोलोक में जाती है।
अधोलोक में जाने के बाद, ईसाई धर्म में माना जाता है कि जीवात्मा के साथ कुछ न कुछ होता होगा। वहाँ स्वर्ग या नरक के संभावनाएं हो सकती हैं। जीवात्मा या रूह को स्वर्ग जाने के लिए धर्मपालों द्वारा निर्धारित मानदेयों और कर्मों का पालन करना होगा। वहाँ जाने के बाद, जीवात्मा अंततः परमेश्वर के पास जाकर अधिक से अधिक शांति और सुख प्राप्त करती है।
इसलिए, ईसाई धर्म में मृत्यु के बाद जीवात्मा के बारे में मान्यताएं भी हैं।